Paper Details
पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में ब्रिक्स देशों के मार्गदर्शन में जैन धर्म के सिद्धांतों की भूमिका
Authors
सुबोध कुमार शर्मा
Abstract
यह लेख पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) को जैन धर्म के सिद्धांतों द्वारा मार्गदर्शन देने की संभावनाओं का अन्वेषण करता है। जैन धर्म, जो अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह और सभी जीवन रूपों का सम्मान करने पर जोर देता है, आधुनिक पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए मूल्यवान दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। जैसे-जैसे ब्रिक्स देशों का तेजी से औद्योगिकीकरण हो रहा है और संसाधनों की कमी व पर्यावरणीय क्षति बढ़ रही है, जैन दर्शन एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है जो आर्थिक विकास और पारिस्थितिकीय संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करता है। जैन सिद्धांतों को नीति निर्माण और औद्योगिक प्रथाओं में समाहित करके इन देशों को अधिक स्थिर, नैतिक और पारिस्थितिकीय रूप से जिम्मेदार दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। यह लेख यह दर्शाता है कि जैन धर्म की शिक्षाएँ कार्बन पदचिह्न कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करने के प्रयासों को प्रेरित कर सकती हैं। अंततः, यह लेख वैश्विक पर्यावरण नीति को आकार देने में जैन सिद्धांतों के अपनाने की आवश्यकता पर बल देता है और एक स्थिर भविष्य की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
Keywords
जैन धर्म, पर्यावरणीय स्थिरता, ब्रिक्स देश, अहिंसा, सतत विकास, पारिस्थितिकीय जिम्मेदारी, नवीकरणीय ऊर्जा, नैतिक विकास, अपरिग्रह, वैश्विक पर्यावरण नीति।
Citation
पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में ब्रिक्स देशों के मार्गदर्शन में जैन धर्म के सिद्धांतों की भूमिका. सुबोध कुमार शर्मा. 2020. IJIRCT, Volume 6, Issue 5. Pages 1-11. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2412039