contact@ijirct.org      

 

Publication Number

2407079

 

Page Numbers

1-6

Paper Details

भारतीय संस्कृति में गीता का जीवन दर्शन

Authors

मोन्टी कुमार

Abstract

यद्यपि गीता प्राचीन उपनिषदों की संख्या में शामिल नही है। यह बात सत्य है। कि उपनिषद् भारतीय दार्शनिक चिन्तन का नवनीत हैं इसलिए उपनिषदों की श्रृंखला में अन्तिम और सर्वाधिक महत्वहपूर्ण ग्रन्थ के रूप में गीता के बारे में यहाँ चर्चा की जा रही है।
वेदो के तार्किक और वैज्ञानिक चिन्तन तथा कर्मकाण्ड के व्यावहारिक युग के बाद आध्यात्मिक चिन्तन के युग का सूत्रपात उपनिषदों से हुआ जिसने बताया कि सारे सृष्टि प्रपंच और दृश्य जगत् के पीछे एक आध्यात्मिक रहस्यमय सत्ता है । और वही चरम सत्य है । उपनिषदों ने उसे ब्रह्म की का नाम दिया वेदो के कर्मवाद के बाद उपनिषदों का यह ज्ञानवाद विश्व मंे इतना विख्यात हुआ कि चारे चिन्तक जगत में भ्रम की धूम मच गई। वेदो से भी अधिक वेदान्त के अध्यात्म का प्रभाव विश्व पर पडा उस समय वेदों और वेदान्तों के चिनतन और जीवनदर्श्धन की अनेक धाराएं थी, जिसके अनुसार अनेक दार्शनिक शाखाएं चल रही थी। इन सबका सार समन्वय आवश्यक लग रहा था । उस समय ऐसे जीवनदर्शन की अवधारणा आवश्यक थी । जो व्यवहारिक रूप से सबके लिए अनुसरणीय हो। इसी जीवन दर्शन को द्वपायन कृष्ण अपने पुराण महाभारत के भीष्म पर्व में कौरव पाण्डव युद्ध के पूर्व कहलवाया । उन दिनों उपनिषदों और ब्रह्म का जो महत्व था उसे देखते हुए इसे भी प्रत्येक अध्याय के अन्त में ‘‘भगवद् गीतासु उपनिषत्सु ब्रह्म विधायाम् योगशास्त्रे’’ कहा गया है। अर्थात कृष्ण ने सारी उपनिषदों और ब्रह्म विद्या का सार योगशास्त्र के रूप में कह दिया हैं समस्त चिन्तन पद्धतियों का जिनमें कर्म- मार्ग, ज्ञान मार्ग, और भक्ति मार्ग तीनो आ जाते है। समन्वय ही कृष्ण का योगशास्त्र हैं ‘समत्वं योग उच्यते’
सारी उपनिषदों का सार गीता में समाहित है यह बात बहुत सरल रूप में किसी ने एक श्लोक में बता दी -
सर्वोपनिषदों गावो दोग्धा गोपालनन्दनः
पार्थो वत्सः सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत् ।।1।।
(श्रीमद्भगवदगीता)

Keywords

.

 

. . .

Citation

भारतीय संस्कृति में गीता का जीवन दर्शन. मोन्टी कुमार. 2024. IJIRCT, Volume 10, Issue 4. Pages 1-6. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2407079

Download/View Paper

 

Download/View Count

3

 

Share This Article