Paper Details
प्राचीन बौद्ध धर्म और महिलाएँ
Authors
Bhanu Prakash Soni
Abstract
प्राचीन भारतीय महिलाओं की स्थिति समय, शासक और स्थान के अनुसार ऐतिहासिक रूप से बदलती रही है। भारतीय महिलाएँ अपने ज्ञान और विज्ञान में योगदान के लिए विश्व प्रसिद्ध रही हैं। विशेष रूप से बौद्ध धर्म के संदर्भ में उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण मानी गई है। वैदिक काल में महिलाएँ पुरुषों के साथ बराबरी की स्थिति में थीं, लेकिन उत्तर वैदिक काल में उनकी सामाजिक स्थिति में गिरावट आई। इस काल में महिलाओं को पुरुषों के समक्ष भागीदारी का अवसर नहीं मिलता था। उनकी स्थिति इतनी दयनीय हो गई थी कि उनकी तुलना विषैले सर्प से की जाने लगी और उनके साथ दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाने लगी।
बौद्ध धर्म ने इस गिरावट को चुनौती दी और महिलाओं को सम्मानित स्थान प्रदान किया। भगवान बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद के अनुरोध पर महिलाओं के लिए मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोल दिए। बौद्ध धर्म ने यह स्वीकार किया कि महिलाएँ भी निर्वाण प्राप्त कर सकती हैं, बौद्ध मठों में निवास कर सकती हैं और बौद्ध भिक्षुणी बन सकती हैं। बौद्ध काल में महिलाओं को बौद्ध धर्म के साथ-साथ विज्ञान की शिक्षा भी दी जाती थी।
महिलाओं की रचनात्मकता और उनके अनुभवों को थेरिगाथा में संकलित किया गया ताकि आने वाली बौद्ध भिक्षुणियों के लिए यह ज्ञान एक मार्गदर्शन का कार्य करे। कई महिलाओं को निर्वाण प्राप्त करने की घटनाओं का उल्लेख विनय पिटक जैसे पाली बौद्ध ग्रंथों में मिलता है।
Keywords
वैदिक-उत्तरवैदिक, बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणी, तेवज्जा, थेरिगाथा-थेरागाथा, बौद्ध मठ, चीनी यात्री।
Citation
प्राचीन बौद्ध धर्म और महिलाएँ. Bhanu Prakash Soni. 2025. IJIRCT, Volume 11, Issue 1. Pages 1-3. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2501072