Paper Details
कोविड-19 काल में प्रवासी मुसहर मजदूरों की सामाजिक-आर्थिक समस्या
Authors
Braj Mohan
Abstract
मुसहर मतलब मूस$हर, जो चूहा से अपना आहार प्राप्त करता है उसे मुसहर कहते हैं, इस तरह की मान्यता है, कि ये जाति प्रकृति के काफी करीब है, तथा आज भी आधुनिक सुख सुविधाओं से दूर हैं। इस जाति के लोगों का जीवन-यापन दिहाड़ी मजदूरी के ऊपर हीं टिका हुआ हैं। परंतु कोरोना काल में काम नहीं मिलने तथा दूसरे राज्यों से वापस आने के कारण इन्हें अनेक तरह के सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की, जिसे 19 फरवरी 2020 से एक महामारी कोविड-19 के रुप में भी जाना जाता है। यह एक श्वसन रोग है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को संपूर्ण रुप से प्रभावित करता है। कोविड-19 का पहला मामला दिसंबर 2019 में चीन में आया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च, 2020 में नोवेल कोरोना वायरस को एक महामारी के रुप में घोषित किया है। जिसका अर्थ है कि नया वायरस दुनिया भर के देशों में तेजी से फैल रहा है। इस वायरस के लक्षणों में शामिल है, बुखार और खांसी, गले में खराश और सांस लेने में कठिनाई। भारत सहित अधिकांश देशों की सरकारों ने इसके प्रसार को कम करने के लिये पहले से हीं लॉकडाउन, सामाजिक दूरियाँ, स्कूलों, कॉलेजों, धार्मिक समारोहों आदि को बंद करने जैसे कई उपाय किये हैं, भारत एक विकासशील देश है, और यहाँ के अधिकांश लोगों की मानक आय बहुत हीं कम हैं, इसलिए भारत में लॉकडाउन से गरीब, मजदूर एवं मध्यम आयवर्ग के लोग प्रभावित हुये हैं। इन्हीं मजदूर वर्गों में से एक मुसहर जाति है, जो अपनी बेहतर जिंदगी एवं रोजगार के तलाश में अपने घर से दूर, दूसरे राज्यों में गये थे। लेकिन इस महामारी के चपेट के कारण, उन्हें अपने काम से हाथ धोना पड़ा तथा वापस अपने गाँव एवं मिट्टी की ओर वापस लौटना पड़ा। ये लोग बिना कुछ सोचे समझे अपने गाँव की ओर वापस आ गये कि शायद अपने आस- पास के लोग उनकी सहायता करेगें तथा उनके परिवार को भूखे नहीं रहने देगें ।
Keywords
लॉकडाउन, प्रवासी, मजदूर, मुसहर, सोशल डिस्टेन्सिंग।
Citation
कोविड-19 काल में प्रवासी मुसहर मजदूरों की सामाजिक-आर्थिक समस्या. Braj Mohan. 2025. IJIRCT, Volume 11, Issue 1. Pages 1-5. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2501064