Paper Details
1942 का भारत छोड़ो आंदोलन और कानपुर का श्रमिक वर्ग
Authors
पवन कुमार, डाॅ. प्रज्ञान चौधरी
Abstract
अगस्त 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया था। यह आंदोलन पूरे देश में बहुत व्यापक था। सरकार ने स्थिति को बहुत ही सख्ती से और बहुत ही क्रूरता से संभाला। बम्बई इन सभी गतिविधियों का केंद्र था। वहीं संयुक्त प्रांत में श्रमिक आंदोलन का मुख्य केन्द्र कानपुर था। समाज के सभी वर्गों के लोग, विद्वान से लेकर अनपढ़ तक, कॉलेज के छात्रों से लेकर सेवानिवृत्त लोगों तक, मिल-मजदूरों से लेकर उद्योगपतियों तक, सभी आयु वर्ग के पुरुष और महिलाओं ने अपनी जाति, पंथ या रंग के बावजूद शांत भारत आंदोलन में भाग लिया। इस आंदोलन ने औद्योगिक श्रमिकों के लिए अपने उद्धार के लिए लड़ने का सबसे बड़ा अवसर खोल दिया। जब तक वे केवल आर्थिक आधार पर लड़ रहे थे तब तक उनका टुकड़ों-टुकड़ों में दमन हो रहा था। अब उन्हें राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने और अपने उद्देश्यों पर नियंत्रण करने का अवसर मिला। इसके लिए उन्होंने अंग्रेजों को युद्ध सामग्री की आपूर्ति में बाधा डालने के लिए हर संभव प्रयास किये। मिलों, कारखानों, विशेषकर कपड़ा और इंजीनियरिंग में काम करने वाले श्रमिकों ने मिलों में काम बंद करके अपना प्रतिरोध दर्ज कराया। उस समय भी यह कहा गया कि मजदूरों ने अब तक अपनी कई आर्थिक लड़ाइयां सफलतापूर्वक लड़ी हैं और अब उन्हें राजनीतिक लड़ाइयां भी लड़नी चाहिए। निश्चय ही श्रमिकों ने संयुक्त प्रांत सहित सम्पूर्ण भारत में अपनी सहभागिता की।
Keywords
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Citation
1942 का भारत छोड़ो आंदोलन और कानपुर का श्रमिक वर्ग. पवन कुमार, डाॅ. प्रज्ञान चौधरी. 2022. IJIRCT, Volume 8, Issue 3. Pages 1-5. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2411094