Paper Details
चाला पच्चो (सरना माँ की कहानी)
Authors
जोहे भगत, डॉ. हरि उराँव
Abstract
कहा जाता है कि एक परिवार में सात भाई थे। सातों की शादी हो चुकी थी और एक साथ रहा करते थे। परिवार में काफी सुख-चैन था। अन्न-धन्न की कमी न थी। एक दिन सातों के बीच बात हुई कि परिवार में किस स्त्री के हाथ में अधिक गुण है, जो परिवार को आर्थिक सम्पन्नता से भरा-पूरा बना सके, उसे धन्यवाद दिया जाना चाहिए। इस ध्येय से उन्होंने तय किया कि प्रत्येक स्त्री को बारी-बारी से घर चलाने का अवसर दिया जाए और जाँच करके देखा जाए तथा उसके प्रति धन्यवाद प्रकट की जाए। सर्वप्रथम बड़े भाई की स्त्री को यह कार्य-भार दिया गया कि वह साल भर परिवार चलाये, खर्च संभाले तथा दूसरी स्त्रियाँ नौकरानियों की भाँति रहें । किन्तु इसकी देख-रेख में परिवार गरीब होने लगा। खाने-पीने की चीजें घटने लगीं। परिवार में लोग सताये जाने लगे। यह देखकर भाइयों ने दूसरे भाई की स्त्री पर यह कार्य-भार सौंपा। किन्तु उसके साथ भी यही गति हुई। क्रमशः छठे भाई की बारी आयी परन्तु वह भी कामयाब न हुई। इस प्रकार छः भाइयों के स्त्रियों की जाँच हो चुकी थी। अन्त में सातवें भाई की स्त्री को घर चलाने का कार्य मिला। उसके समय में पूरे परिवार को भरपूर खाना मिलने लगा । यह एक सेर का अनाज पकाती, तो दस सेर के बराबर हो जाता था। इस प्रकार परिवार में गरीबी मिट चली थी और शान्ति भी थी।
Keywords
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Citation
चाला पच्चो (सरना माँ की कहानी). जोहे भगत, डॉ. हरि उराँव. 2024. IJIRCT, Volume 10, Issue 4. Pages 1-3. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2407096