Paper Details
श्याम नारायण पांडे का काव्य और वर्तमान परिदृश्य में सामाजिक और सांस्कृतिक पुर्नपरिभाषा
Authors
अविनाश
Abstract
श्याम नारायण पांडे एक प्रमुख हिंदी कवि हैं, जिनकी कविताओं में भारतीय समाज और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को व्यापक रूप से प्रतिबिंबित किया गया है। उनके काव्य में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे, जैसे कि जाति, धर्म, समाजी न्याय, राजनीति, और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति उनकी गहरी दृष्टि प्रकट होती है। उनकी कविताओं में इसे व्यक्तिगत अनुभव के माध्यम से बयां किया गया है, जो उनके पाठकों को समझने और गहराई समझने में मदद करता है। इस शोध पत्र में, हम श्याम नारायण पांडे की कविताओं के माध्यम से उनके समकालीन सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्परिभाषा के प्रस्तुतिकरण को विश्लेषण करेंगे। हम उनके काव्य में उनकी विचारधारा और सोच के माध्यम से सामाजिक परिवर्तनों के आईने में देखेंगे, जिससे हमें समकालीन समाज और सांस्कृतिक मानवता की नई परिप्रेक्ष्य समझने में मदद मिलेगी। इस शोध पत्र के माध्यम से हम पांडे की कविताओं के माध्यम से उनके द्वारा उजागर किए गए सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को विश्लेषित करेंगे और उनके लेखन की महत्वपूर्णता को समझेंगे, जो आज के समाज में हमारी सोच और समझ को कैसे प्रभावित करते हैं। श्याम नारायण पांडे की कविताओं के संदर्भ में विभिन्न विद्वानों ने उनके लेखन की महत्वपूर्ण विश्लेषण किए हैं। उनके काव्य में जाति, समाजी व्यवस्था, धार्मिक अनुभव, और राजनीतिक प्रवृत्तियों को गहराई से व्यक्त किया गया है। उनकी कविताओं में व्यापक सांस्कृतिक स्मृतियों और परंपराओं का विवरण भी मिलता है, जो उनकी कविताओं को विशेष बनाता है।
Keywords
सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दे, जाति, धर्म, समाजी न्याय, राजनीति, राष्ट्रीय चेतना, प्रभावशाली काव्य, सामाजिक न्याय
Citation
श्याम नारायण पांडे का काव्य और वर्तमान परिदृश्य में सामाजिक और सांस्कृतिक पुर्नपरिभाषा. अविनाश. 2024. IJIRCT, Volume 10, Issue 2. Pages 1-8. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2407036