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Publication Number

2407010

 

Page Numbers

47-62

Paper Details

नगरीय समाज में विचलन का समाजशास्त्रीय अध्ययन

Authors

डॉ. अंजना वर्मा

Abstract

नगरीय वृद्धि एवं विकास से जुड़ी हुई समस्याओं में आज जिन तीन समस्याओं को सबसे अधिक गम्भीर माना जाता है उनका सम्बन्ध नगर की गन्दी बस्तियों, अपराधी व्यवहारों में वृद्धि तथा पर्यावरण से है । इन तीनों समस्याओं का सम्बन्ध किसी-न-किसी रूप में नगरीय स्थल के एक विशेष प्रतिमान, व्यक्तिवादिता पर आधारित सम्बन्धों तथा नगरों की भौतिक संस्कृति में होने वाली वृद्धि से है । यह सच है कि भारत और दुनिया के अनेक दूसरे देशों में नगरों का इतिहास बहुत प्राचीन है लेकिन आरम्भिक नगरों एवं वर्तमान नगरों की बसाहट के प्रतिमानों, उपभोग के तरीकों तथा मूल्यगत संरचना में एक भारी अन्तर देखने को मिलता है । भारत में परम्परागत नगरों की स्थापना व्यापारिक, सैनिक तथा सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हुई। ऐसे नगरों का आकार तुलनात्मक रूप से छोटा था तथा जिस स्थान पर उपजाऊ भूमि तथा पानी की सुविधाएं उपलब्ध होती थीं वहीं जनसंख्या का केन्द्रीकरण बढ़ने से नगर के आकार में भी सामान्य वृद्धि होने लगती थी। ऐसे नगरों की संरचना नदी के तट से हटकर एक लम्बी कतार के रूप में होती थी तथा विभिन्न आवासीय क्षेत्र साधारणतया एक विशेष मार्ग में ही जुड़े रहते थे ।

Keywords

नगरीय समाज, विचलन, गन्दी बस्तियॉ, प्रदूषण, सामान्तवादी व्यवस्था

 

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Citation

नगरीय समाज में विचलन का समाजशास्त्रीय अध्ययन. डॉ. अंजना वर्मा. 2021. IJIRCT, Volume 7, Issue 1. Pages 47-62. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2407010

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