Paper Details
प्लेटो का शिक्षा सिद्धांत एवं योजना
Authors
लालाराम
Abstract
‘वह (प्लेटो) पहला एवं अंितम विज्ञान है जो मानता है कि किसी राज्य को सर्वाधिक धनी अथवा सर्वाधिक महत्वाकांक्षी अथवा सर्वाधिक चालाक द्वारा नहीं अपितु सर्वाधिक प्रज्ञावान द्वारा शासित होना चाहिये। ’’ (पी.बी. शैली) प्लेटो का जन्म 428 ई.पू. प्राचीन यूनान के एथेन्स नामक राज्य में हुआ था। यद्यपि युवावस्था में प्लेटो एथेन्स की राजनीति में भाग लेनेे की महत्वाकांक्षा रखता था, किन्तु उसने जिस घृणित ढंग से राजनीतिक घटनाचक्र को घटते देखा, उसके परिणामस्वरूप प्लेटो ने व्यावहारिक राजनीति के स्थान पर दर्षनषास्त्र की शरण लेना उचित समझा। उसने स्पार्टा द्वारा एथेन्स की पराजय देखी, एथेन्स में अल्पवर्गीय निरंकुष शासन देखा और उसके बाद वहां ऐसे लोकतंत्र की स्थापना भी देखी जिसके प्रमुख शासकों ने मिथ्या आरोप लगाकर सुकरात जैसे महान् संत, दार्षनिक एवं सत्यान्वेषी केा मृत्यूदण्ड की सजा दी, जो प्लेटो का गुरू भी था। इस दुर्घटना ने प्लेटो के हृदय में व्यावहारिक राजनीति के प्रति वैराग्य की भावना पैदा कर दी और वह अपने गुरू सुकरात की दार्षनिक - चिन्तन परम्परा का अनुकरण करते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि राजनीतिक (सार्वजनिक) जीवन के कष्टों का अंत तब तक नहीं हो सकता जब तक कि राज्य के शासक दार्षनिक नहीं बन जाये, अथवा दार्षनिकों को ही शासक नहीं बना दिया जाये।
इस विचाराधारा को मूर्तरूप देने के लिये प्लेटो ने शिक्षा सिद्धांत प्रस्तुत किया। 347 ई.पू.. में 81 वर्ष की आयु में प्लेटो की मृत्यु हुई। अपनी जीवन अवधि में प्लेटो ने कुल 36 गं्रथ लिखे।
Keywords
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Citation
प्लेटो का शिक्षा सिद्धांत एवं योजना. लालाराम. 2024. IJIRCT, Volume 10, Issue 4. Pages 1-5. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2407006