Paper Details
सामाजिक न्याय में डॉ. भीमराव अंबेडकर की भूमिकाः एक अध्ययन
Authors
डॉ. धीरेन्द्र पाल सिंह
Abstract
सामाजिक न्याय की अवधारणा एक बहुत ही व्यापक शब्द है, इसमें एक व्यक्ति के नागरिक अधिकार तो है ही, साथ ही सामाजिक (भारत के परिप्रेक्ष्य में जाति एवं अल्पसंख्यक) समानता के अर्थ का भी निहितार्थ है। यह निर्धनता, साक्षरता, छुआछूत, महिला, पुरुष हर पहलुओं को और उसके प्रतिमानो को इंगित करता है। सामाजिक न्याय की अवधारणा का मुख्य अभिप्राय यह है कि नागरिक - नागरिक के बीच सामाजिक स्थिति में कोई भेदभाव ना हो। सभी को विकास के समान अवसर उपलब्ध हो सामाजिक न्याय से तात्पर्य है कि सामाजिक जीवन में सभी मनुष्यों के स्वाभिमान को स्वीकार किया जाए स्त्री-पुरुष, गोरे-काले या जाति, धर्म क्षेत्र इत्यादि के आधार पर किसी व्यक्ति को छोटा-बडा या ऊंच-नीच ना माना जाए। शिक्षा तथा विकास के अवसर सबको समान रूप से उपलब्ध हो द्य हमारा समाज अंबेडकर की न्याय की संकल्पना को अभी पूरी तरह से अपना नहीं पाया क्योंकि इसने जाति और पितृसत्ता के श्रेणी क्रमो से अपने आप को मुक्त करने से इंकार कर दिया।
Keywords
अम्बेडकर, सामाजिक न्याय, महिला, छुआछूत, जाति, असमानता, समानता, श्रमिक, नागरिक अधिकार
Citation
सामाजिक न्याय में डॉ. भीमराव अंबेडकर की भूमिकाः एक अध्ययन. डॉ. धीरेन्द्र पाल सिंह. 2024. IJIRCT, Volume 10, Issue 3. Pages 38-44. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2406062