Paper Details
कोविड-19 महामारी का दौर : उपभोक्ता एवं ग्रामीण प्रशासन
Authors
Deepak kumar Mehra
Abstract
वर्तमान में राजस्थान राज्य सहित सम्पूर्ण विश्व कोविड-19 नामक महामारी से जूझ रहा है। इस संकट का प्रत्यक्ष प्रभाव कमजोर वर्ग के लोगों जैसे किसानों, ग्रामीण परिवारों, कामकाजी वर्ग, मजदूर, गरीब असहाय वर्ग, वृद्ध जनों और बेरोजगार वर्ग पर अधिक पड़ा है। इस संकट में आवश्यकता की आधारभूत सुविधाओं की वस्तुओं की गुणवत्ता और उचित मूल्य का मौलिक आंकलन करने की जरूरत है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में पचांयत राज संस्थानों की भूमिका अहम हो सकती है।
इस शोध पत्र में आम आदमी की आवश्यकता की वस्तुओं की कमी एवं मिलावट की दशा से ग्रामीण क्षेत्रो में ग्राम पंचायतों की अहम भूमिका को स्पष्ट किया गया है। ज्यादातर उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, उनकी प्रमाणिकता को ध्यान रखते हुए ग्रामीण पंचायतों को सुरक्षा, सुविधा एवं शुद्धता को ध्यान में रखते हुए उपभोक्ताओं को जागरूक करने की आवश्यकता है। पंचायतों को ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए उपभोक्ताओं को सघन प्रचार तथा जागरूकता अभियानों के जरिये अधिकारों तथा जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित किये जाने की आवश्यकता है।
वस्तुतः भारतीय संविधान में निहित राज्य की नीति के लिए नीति निर्देशक सिद्धान्त निर्धारित किये गये हैं, जिनको न्यायालय द्वारा प्रवर्तित नहीं किया जा सकता है। यह देश के शासन के लिए बुनियादी सिद्धान्त है, यह व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन तथा नागरिक की गरिमा एवं कल्याण के प्रति सुनिश्चित करता है। इसी कारण उपभोक्ता और ग्राहक के रूप में व्यक्ति का कल्याण सुनिश्चित करना अपरिहार्य हो जाता है।
सामान्यतया उपभोक्ता सरंक्षण यह सुनिश्चित करता है कि व्यापार में उचित व्यवहार हो, वस्तुएं गुणवत्तायुक्त बनायी जाये, सेवांए प्रभावी हों, तथा उपभोक्ता को उनके द्वारा खरीदे गए सामान की गुणवत्ता, मात्रा, प्रभाव, बनावट तथा कीमत के बारे में जानकारी मिलती रहे इसी सन्दर्भ में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को भारत सरकार ने लागू किया। इस अधिनियम की गिनती सबसे प्रगतिशील तथा समग्र कानूनों में होती है, इसके दायरे में सभी वस्तुएं एवं सेवाएं आती हैं। इस अधिनियम से जीवन एवं संपत्ति के लिए नुकसानदेह सेवाओं और वस्तुओं की मार्केटिंग से अपनी रक्षा की जाती है। यदि कोई सेवा या वस्तु जीवन एवं संपत्ति के लिए हानिकारक है तो इसकी जानकारी उपभोक्ताओं को होनी चाहिए तथा सेवा एवं वस्तु के प्रयोग का तरीका स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।
अधिनियम के अनुसार उपभोक्ताओं को सेवा अथवा वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा, प्रभाव, शुद्धता, मानक एवं कीमत के बारे में जानकारी प्राप्त करने का पूरा अधिकार है ताकि वे व्यापार के अनुचित तरीकों से बच सकें। उपभोक्ताओं को पर्याप्त जानकारी प्रदान की जानी चाहिए जिससे वे अपने बजट, जीवन शैली तथा प्रचलन के मुताबिक सही निर्णय कर सकें। यह जागरूकता ग्राम पंचायतों द्वारा सही तरीके से की जा सकती है। जिस प्रकार उपभोक्ताओं को प्रतिस्पद्ध कीमतों पर विभिन्न प्रकार की सेवाएं एवं वस्तुएं प्राप्त करने का अधिकार है। उसी प्रकार निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को कम से कम और प्रतिस्पर्द्धा दाम पर अधिक से अधिक सेवाएं या वस्तुएं उपलब्ध हो सकें।
Keywords
महामारी, उपभोक्ता, प्रशासन ,जागरूकता, अधिकार, शुद्धता ,विकास
Citation
कोविड-19 महामारी का दौर : उपभोक्ता एवं ग्रामीण प्रशासन. Deepak kumar Mehra. 2022. IJIRCT, Volume 8, Issue 4. Pages 28-32. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=2211001