Paper Details
राजस्थान में हूणों का आधिपत्य
Authors
डॉ. बलवीर चौधरी
Abstract
चीन के ऐतिहासिक गंथों से ह्गनू अथवा हूण जाति से हमारा परिचय दूसरी शताब्दी ई. पू. में होता है। इस बर्बर जाति ने पष्चिमी चीन के कानसू नाम प्रांत में निवास करने वाली यूः ची जाति को पराजित कर उसे अपना मूल निवास स्थान छोड़ने के लिए बाध्य किया था। कालांतर में हूण भी अपने नये निवास स्थान की खोज में पष्चिम की ओर चल पड़े। उनकी एक शाखा फारस में वंक्षु (आक्सस) नदी के तट पर आबसी जो श्वेत हूण अथवा एप्थेलाइट कहलाई और दूसरी शाखा जो पष्चिमी शाखा था उसने यूरोप में काफी उथल-पुथल मचाया था।1 श्वेत हूणों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कालांतर में गांधार पर अधिकार स्थापित कर लिया था।2 स्कन्द गुप्त के शासनकाल में उन्होंने सिंधु को पार करके गु्रप्त स्रामाज्य के लिए महान् संकट उपस्थित कर दिया था।3 मार्टिन की मान्यता है कि बर्बर हूणों का पहला आक्रमण गांधार पर चतुर्थ शताब्दी ई. में हुआ था।4 जिसे समुद्रगुप्त ने किदार कुषाणों की सहायता करके पराजित किया था।5
स्कन्दगु्रप्त के शासनकाल में हूणों का जो आक्रमण हुआ था उसकी पुष्टि भीतरी अभिलेख एवं साहित्यिक साक्ष्यों से होती है।6 स्कन्दगुप्त ने हूणों को पूरी तरह पराजित कर दिया था। यद्यपि यह निष्चित नहीं है कि यह गुप्त हूण संघर्ष किस स्थल पर हुआ था। श्री जगन्नाथ तथा डॉ. उपेन्द्र ठाकुर की मान्यता है कि हूणों के आक्रमण का लक्ष्य सौराष्ट्र तथा मालवा थे।7
Keywords
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Citation
राजस्थान में हूणों का आधिपत्य. डॉ. बलवीर चौधरी. 2019. IJIRCT, Volume 5, Issue 1. Pages 13-15. https://www.ijirct.org/viewPaper.php?paperId=1901004